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छुटकारा:- चौपाई छन्द लेखनी कविता -15-Jun-2024

छुटकारा:- चौपाई छन्द
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जीवन दे दे अब छुटकारा माॅंगू नहीं कोई सहारा।।
पाया क्या है जीवन से भी ।सब छीन लिया है तू ने  ही।।

जीवन मुझे रास कब आया। दस्तूर न इसका मन भाया।
मेरी साॅंस़ों को तमाम कर। जीवन अब मेरा   हिसाब कर।।

मैने साॅंसे  तुझ पर त्यागीं। मुझ सम कोई नहीं आभागी।।
जीवन मुझको  राहत दे दे,मेरी खुशियां सब तू ले ले।।

खुशियां कम  ग़म पाये मैंने,अब वार दिये हैं सब मैंनै।।
वो दिन दिल तड़पाते रहते।दिल में आकर आॅंसू भरते।।

आनन्द कुमार मित्तल, अलीगढ़

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